मनोविज्ञान
शब्दावली
कर्ता-प्रेक्षक प्रभाव (Actor-observer effect) : स्वयं अपने अनुभव या व्यवहार के लिए (कर्ता) और दूसरे व्यक्ति (प्रेक्षक) के उसी अनुभव या व्यवहार के लिए अलग-अलग गुणारोपण करने की प्रवृत्ति।
अनुकूलन (Adaptation) :
संरचनात्मक
या प्रकार्यात्मक परिवर्तन जो किसी जीव के उत्तरजीविता मूल्य में वृद्धि करता है।
आक्रमण (Aggression) :
शशरीरिक
या शाब्दिक तौर पर किसी को चोट पहुँचाने के आशय से किया गया व्यवहार।
वायु प्रदूषण (Air
pollution) : वायु की गुणवत्ता का निम्नीकरण।
सचेत प्रतिक्रिया (Alarm
reaction) : सामान्य
अनुकूलन संलक्षण की पहली अवस्था जिसमें अधिवृक्कीय और अनुकंपी क्रिया के जरिए उर्जा
के सक्रियण द्वारा आपाती प्रतिक्रिया होती है।
विसंबंधन (Alienation) :
किसी
समाज या समूह का अंग न होने की भावना।
गुदीय अवस्था (Anal
stage) : फ्रायड
द्वारा वर्णित मनोलैंगिक अवस्थाओं में दूसरी, जो शिशु के दूसरे वर्ष में घटित
होती है। इसमें सुख की प्रतीति गुदा पर और मल के बतिधारण और निष्कासन पर केंद्रित
रहती है।
क्षुधा-अभाव (Anorexia
nervosa) : ऐसा
विकार जिसमें शशरीरिक वजन में अत्यधिक कमी निहित है और इसमें वजन बढ़ने या ‘मोटा’ होने का तीव्र भय उत्पन्न होता
है।
समाजविरोधी व्यक्तित्व (Antisocial personality) : ऐसा व्यवहार विकार जिसमें
पलायनवृनि, अपरामाशीलता, स्वैरिता, चोरी, मवंसकारिता, लड़ना, सामान्य सामाजिक नियमों का
उल्लंघन, खराब काम
का इतिहास, आवेगशीलता, अविवेक, आवमकता, दुस्साहसी व्यवहार तथा आगे की
योजना बनाने की अयोग्यता आदि विशेषताएँ पायी जाती हैं। एक व्यक्ति से दूसरे
व्यक्ति में ऐसे व्यवहार का विशिष्ट स्वरूप अलग-अलग होता है।
दुश्चिंता (Anxiety) :
मानसिक
व्यथा की एक दशा जिसमें भय, आशंका और
शरीरक्रिया भाव बबोमान उदोलन पाया जाता है।
दुश्चिंता विकार (Anxiety
disorders) : ऐसे विकार जिसमें दुश्चिंता ही प्रमुख लक्षण होती है। इस विकार में
सुभेद्यता की भावना, आशंका या
भय पाया जाता है।
अनुप्रयुक्त मनोविज्ञान (Applied psychology) : सैद्धान्तिक और प्रयोगात्मक
मनोविज्ञान के परिणाम स्वरूप मन, मस्तिष्क एवं व्यवहार के संबन्ध में मिले ज्ञान का
व्यावहारिक अनुबयोग।
अभिक्षमता (Aptitude) :
ऐसी
विशेषताओं का संयोग जो व्यक्ति की बशिक्षण द्वारा कुछ विशिष्ट कौशलों को अर्जित
करने की समर्थता का सूचक होता है।
अभिक्षमता परीक्षण (Aptitude
tests) : व्यक्ति
के भावी निष्पादन की क्षमता का मापन करने वाले परीक्षण।
आद्यप्ररूप (Archetypes) :
सामूहिक
अचेतन की अंतर्वस्तुओं के लिए युंग द्वारा बयुक्त पद; अनुभव के संगठन के लिए वंशागत
प्रतिरूपों को अभिव्यक्त करने वाली प्रतिमाएँ या बतीक।
भाव प्रबोधन (Arousal) :
दूसरों
के उपस्थित रहने या निष्पादन के मूल्यांकित होने के विचार से अनुभूत तनाव।
अभिवृत्तियाँ (Attitudes) :
किसी
विषय पर मन, विचारों
या बत्ययों की वे स्थितियाँ जिनमें संज्ञानात्मक, भावात्मक और व्यवहारात्मक घटक
होता है।
अभिवृत्ति विषय (Attitude
object) : किसी
अभिवृत्ति का लक्ष्य।
गुणारोपण (Attribution) :
अपने
अथवा दूसरों के व्यवहार की व्याख्या करने के लिए उस व्यवहार के कारणों का विवरण
देना।
सत्ता या प्रभुत्व (Authority) :
किसी पद
(जैसे - प्रबंधकीय) में निहित अधिकार जिनके आधार पर आदेश देना और उनका पालन किए
जाने की अपेक्षा करना।
स्वलीनता (Autism) :
शैशवावस्था
में बारंभ होने वाला व्यापक विकासात्मक विकार जिसमें अनेक बकार की असमान्यताएँ
निहित होती हैं, जैसे -
भाषागत, बात्यक्षिक
और गतिपरक विकास में न्यूनता, दोषपूर्ण वास्तविक परीक्षण और सामाजिक विरक्ति आदि।
संतुलन (Balance) :
अभिवृत्ति
व्यवस्था की वह स्थिति जिसमें एक व्यक्ति (P) और दूसरे व्यक्ति (O) व्यक्ति (P) और अभिवृत्ति विषय (X) दूसरे व्यक्ति (O) और अभिवृत्ति विषय (X) अभिवृत्तियाँ एक ही दिशा में
होती हैं या तार्किक रूप से एक-दूसरे से संगत होती है।
व्यवहार चिकित्सा (Behaviour
therapy) : ऐसी
उपचार पद्धति जो दुरनुकूलक व्यवहार को परिवर्तित करने के लिए व्यवहारवादी अधिगम
सिद्धान्तों के नियमों पर आधारित होती है।
विश्वास (Beliefs) :
किसी
विषय से संबंधित विचारों या बत्ययों का संज्ञानात्मक घटक।
प्रमुख विशेषक या शीलगुण (Cardinal trait) : आलपोर्ट के अनुसार, वह एकल विशेषक जो व्यक्ति के
संपूर्ण व्यक्तित्व में प्रमुखता से विद्यमान रहता है।
व्यक्ति अध्ययन (Case
study) : व्यवहार
के संबन्ध में सामान्य विकसित करने के लिए किसी व्यक्ति या स्थिति का गहन अमययन।
केंद्रीय विशेषक या शीलगुण (Central traits) : दूसरों के बारे में विचार निर्मित करने के लिए मयान देने
योग्य मुख्य विशेषक।
अभिवृत्ति की केंद्रिकता (Centrality of attitude) : वह मात्र जहाँ तक कोई एक
विशिष्ट अभिवृत्ति पूरी अभिवृत्ति व्यवस्था को बभावित करती है।
सेवार्थी-केंद्रित (रोशर्स की) चिकित्सा (Client-centred (Rogerian) therapy): कार्ल रोशर्स द्वारा विकसित
चिकित्सा उपागम जिसमें चिकित्सक सेवार्थियों को अपनी सही भावनाओं को स्पष्ट करने
और वे कौन हैं उसका मूल्यांकन करने में उनकी सहायता करता है।
सहकार्य (Coaction) :
ऐसी
स्थिति जिसमें बहुत से लोग दूसरों की उपस्थिति में उसी कार्य को करते हैं।
संज्ञान (Cognition) :
जानने की
प्रक्रिया। ऐसी मानसिक क्रियाएँ जो चिंतन, निर्णयन, भाषा के उपयोग तथा अन्य उच्चतर
मानसिक प्रक्रियाओं से संबण् होती हैं।
संज्ञानात्मक मूल्यांकन प्रणाली (Cognitive assessment system) : परीक्षणों की एक माला जिसका
निर्माण चार आधारभूत पास (PASS) प्रक्रियाओं - योजना-अवधान-सहकालिक-आनुक्रमिक का मापन करने के लिए
किया गया है।
संज्ञानात्मक संगति (Cognitive
consistency) : ऐसी स्थिति जिसमें विचार या बत्यय तार्किक दृष्टि से एक-दूसरे के
सुसंगत होते हैं।
संज्ञानात्मक विसंगति (Cognitive dissonance) : किसी अभिवृत्ति व्यवस्था की वह
स्थिति जिसमें दो संज्ञानात्मक तत्व तार्किक दृष्टि से विरोधात्मक या असंगत होते
हैं।
संज्ञानात्मक चिकित्सा (Cognitive therapies) : विछत और दुरनुकूलक विचार
प्रतिरूपों को परिवर्तन करने पर केंद्रित चिकित्सा की विधि।
संसक्तता (Cohesiveness) :
सभी
शक्तियाँ (कारक) जो समूह के सदस्यों को समहू में बने रहने का निमिन बनती हैं।
सामूहिक अचेतन (Collective
unconscious) : कार्ल युंग द्वारा अभिगृहीत अचेतन का वंशागत अंश। वह अचेतन जो सभी
मानवों में समान रूप से विद्यमान है।
संक्रामक या संचारी रोग (Communicable disease) : किसी विशिष्ट संवमक कारक द्वारा
उत्पन्न ऐसी बीमारी जो मनुष्य से मनुष्य में, पशु से पशु में या पर्यावरण से
मनुष्य या पशु में बत्यक्ष या अबत्यक्ष रूप से संचारित या अंतरित होती है।
प्रतिस्पर्धा (Competition) :
एक ही
उपेश्य की प्राप्ति के लिए दो व्यक्तियों या समूहों में परस्पर होड़ उत्पन्न होना।
प्रतिस्पर्धा सहिष्णुता (Competition tolerance) : किसी ऐसी स्थिति को सहन करने की
योग्यता जिसमे लोगों को भौतिक स्थान आदि बुनियादी संसामानों तक के लिए अन्य बहुतों
के साथ प्रतिस्पर्धा करनी पड़ती है।
अनुपालन (Compliance) :
सामाजिक
बभाव का एक बकार जिसमें एक या अधिक व्यक्ति, बभुत्व न रखते हुए भी, एक या अधिक व्यक्तियों के सीमो
अनुरोधों को स्वीकार कर लेते हैं।
घटकीय बुद्धि (Componential
intelligence) : स्टर्नबर्ग के त्रिचापीय सिणंत में यह आलोचनात्मक और विश्लेषणात्मक
दृष्टि से सोचने की योग्यता का द्योतक है।
द्वंद्व (Conflict) :
परस्पर-विरोधी
अभिबेरकों, अंतर्नोदों, आवश्यकताओं या लक्ष्यों से
उत्पन्न हुए विक्षोभ या तनाव की दशा।
अनुरूपता (Conformity) :
सामाजिक
बभाव का एक बकार जिसमें व्यक्ति वर्तमान सामाजिक मानकों का अनुपालन करते हुए अपनी
अभिवृत्तियों या व्यवहार में परिवर्तन कर लेते हैं।
सर्वसम अभिवृत्ति परिवर्तन (Congruent attitude change) : विद्यमान अभिवृनि की ही दिशा
में अभिवृनि में परिवर्तन।
सांदर्भिक बुद्धि (Contextual
intelligence) : स्टर्नबर्ग के त्रिचापीय सिणंत में यह व्यावहारिक बुद्धि है जिसका
उपयोग दैनिक समस्याओं के समाधान में किया जाता है।
सामना करना (Coping) :
ऐसी
माँगों के प्रबंधन का प्रयास करने की प्रक्रिया जो बयत्नसामय या व्यक्ति के
संसामानों की सीमा का अतिक्रमण करने वाली समझी जाती है।
परामर्श या उपबोधन (Counselling) :
समायोजन
की प्राप्ति में व्यक्ति की सहायता के लिए विविमा बकार की कार्यविधियों का सामान्य
द्योतक शब्द है, जैसे -
सलाह देना, चिकित्सात्मक
विचार-विमर्श, परीक्षण
देना एवं उनकी व्याख्या करना तथा व्यावसायिक सहायता।
परामर्शी साक्षात्कार (Counselling interview) : ऐसी साक्षात्कार जिसका उपेश्य
व्यक्तित्व और व्यवसाय चयन आदि के क्षेत्र में परामर्श या मार्गदर्शन प्रदान करना
है।
सर्जनात्मकता (Creativity) :
विचारों
एवं वस्तुओं को उत्पन्न करने की योग्यता तथा समस्या के ऐसे समाधानों को बस्तुत
करने की योग्यता जिसमें नयापन हो एवं जो उपयुक्त हों।
भीड़ (Crowding) :
अत्यंत
कम स्थान की मनोवैज्ञानिक अनुभूति, अतिसंकीर्णता का बत्यक्षण।
भीड़ सहिष्णुता (Crowding
tolerance) : उच्च सघनता या भीड़-भाड़ वाले पर्यावरण के प्रति मानसिक रूप से
समायोजन करने की योग्यता, जैसे -
भीड़ वाले घर में रहना।
संस्कृति-निरपेक्ष परीक्षण (Culture-fair test): ऐसा परीक्षण जो परीक्षार्थियों में सांस्कृतिक अनुभवों के
आधार पर विभेदन नहीं करता।
रक्षा युक्तियाँ (Defence
mechanisms) : फ्रायड के अनुसार वे तरीके जिनमें ‘अहं’ अचेतन रूप से ‘इदम्’ के अस्वीकार्य आवेगों का बयत्न
करता है, जैसा कि
दमन, प्रक्षेपण, प्रतिक्रिया-निर्माण, उदानीकरण, युक्तिकरण आदि में होता है।
संस्था-विमुक्ति (Deinstitutionalisation) :
पूर्व
मानसिक रोगियों कों संस्थाओं से समुदाय में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया।
भ्रमासक्ति (Delusions) :
विरुण्
दंग का बभूत साक्ष्य रहने के बावजूद विद्यमान अतार्किक/उच्छृंखल विश्वास
निर्वैयक्तिकीकरण या व्यक्तित्व-लोप विकार (Depersonalisation कपेवतकमत) %,
slk foPNsnh ;k विसाहचर्य विकार जिसमें ‘आत्म’ का बोमा समाप्त हो जाता है।
रोगोन्मुखता-दबाव मॉडल (Diathesis-stress model): यह दृष्टिकोण कि जैविक पूर्वप्रवृनि और जीवन के दबाव आदि
कारकों की अंतःक्रिया के परिणामस्वरूप कोई विशिष्ट विकार उत्पन्न हो सकता है।
दायित्व विसरण (Diffusions
of responsibility) : यह विचार कि जब अन्य लोग उपस्थित हैं तो किसी कार्य को करने
या न करने का उत्तरदायी किसी एक व्यक्ति को नहीं माना जा सकता; कार्य करने के लिए दूसरे सदस्य
भी उतने ही उत्तरदायी हैं।
विपदा (Disaster) :
विपदा एक
अबत्याशित और बायः आकस्मिक घटना है जो किसी समाज की सामान्य दशाओं को विघटित कर
देती है तथा व्यापक क्षति, विनाश और
मानवीय कष्ट उत्पन्न करती है।
भेदभाव (Discrimination) :
ऐसा
व्यवहार जिसमें यह अनुभव हो कि दो या अधिक व्यक्तियों के बीच, बायः किसी व्यक्ति (या
व्यक्तियों) के प्रति उनको किसी अन्य विशिष्ट समुदाय का सदस्य होने के आधार पर
उसके प्रति विभेद किया जाना।
विस्थापन (Displacement) :
किसी
आवेश को कम संकटकारी या सुरक्षित लक्ष्य की ओर मोड़ देना; मनोविश्लेषणात्मक सिणंत का एक
आधारभूत संप्रत्यय; एक रक्षा
युक्ति।
विच्छेदन (Dissociation) :
चेतनता
में विखंडन जिसके कारण कुछ विचार, भावनाएँ या व्यवहार एक-दूसरे से स्वतंत्र होकर क्रियाशील
होते हैं।
पारिस्थितिकी (Ecology) :
जीवविज्ञान
की वह शाखा जो जीवों का उनके पर्यावरण के साथ संबंधों का अमययन करती है।
अहं (Ego) :
व्यक्तित्व
का वह अंश जो इदम् और बां जगत के बीच अंतर्रोधी का कार्य करता है।
विद्युत्-आक्षेपी चिकित्सा (Electroconvulsive therapy, ECT) : सामान्यतः इसे आघात चिकित्सा
कहा जाता है। यह एकमा्रुवीय अवसाद का एक जैविक उपचार है जिसमें रोगी के सिर से
इलेक्ट्रोड संलग्न कर उसमें विद्युत धारा प्रवाहित करके मष्तिष्क तक पहुँचाई जाती
है जिससे रोगी को आक्षेप हो जाता है। यह तीव्र अवसाद के रोगियों पर बभावी होती है
जिन पर औषधि-चिकित्सा असफल हो जाती है।
सांवेगिक बुद्धि (Emotional
intelligence) : जीवन के सांवेगिक पक्ष से संबंधित विशेषकों या योग्यताओं का समूह, जैसे - अपने निजी संवेगों की
पहचान एवं प्रबंधन करने, दूसरों
के संवेगों की पहचान एवं प्रबंधन करने, स्वयं अपने को उत्प्रेरित करने
एवं अपने आवेगों को नियंत्रित रखने तथा बभावी ढंग से अंतर्वैयक्तिक संबंधों पर
व्यवहार करने की योग्यताएँ। इसे एक सांवेगिक लब्धि प्राप्तांक (EQ) के रूप में व्यक्त किया जाता
है।
तदनुभूति (Empathy) :
दूसरे की
भावनाओं के प्रति एक सांवेगिक अनुक्रिया करना जो दूसरे व्यक्ति की भावनाओं के समान
हो।
पर्यावरण (Environment) :
किसी जीव
को प्रभावित करने वाली और उसके आस-पास के परिवेश में व्याप्त भौतिक और सामाजिक
व्यवस्था की समग्रता।
पर्यावरणी मनोविज्ञान (Environmental psychology) : मनोविज्ञान की एक शाखा जो भौतिक
जगत और मानव व्यवहार के बीच अंतःक्रिया पर केंद्रित होती है।
मूल्यांकन बोध (Evaluation
apprehension) : उपस्थित व्यक्तियों (श्रोताओं) द्वारा नकारात्मक रूप में
मूल्यांकित होने का भय।
परिश्रांति (Exhaustion) :
एक ऐसी
दशा जिसमें ऊर्जा संसामान व्यवंत हो चुके रहते हैं तथा अनुक्रियाशीलता घटकर
न्यूनतम हो जाती है।
झाड़फूंक या भूत अपसारण (Exorcism) : किसी ‘आत्माग्रस्त’ व्यक्ति से दुष्टात्माओं या
शक्तियों को निकाल भगाने के लिए अभिकल्पित मार्म-बेरित उपचार विधि।
आनुभविक बुद्धि (Experiential
intelligence) : स्टर्नबर्ग के त्रिचापीय सिणंत में पूर्णतः नयी समस्याओं का समाधान
करने के लिए सर्जनात्मक ढंग से विगत अनुभवों के उपयोग की योग्यता।
बहिर्मुखता (Extraversion) :
व्यक्तित्व
की एक विमा जिसमें व्यक्ति की अभिरुचि अपने विचारों या भावनाओं की ओर अंतर्मुखी न
होकर प्रकृति या अन्य व्यक्तियों की ओर बहिर्मुखी हो जाती है।
अभिवृत्ति की चरमसीमा (Extremeness of attitude) : तटस्थ बिन्दु से अभिवृत्ति की
अधिकतम दूरी।
कारक विश्लेषण (Factor
analysis) : सहसंबंधों
के उपयोग वाली गणितीय प्रक्रिया जिससे विशेषक पदों या परीक्षण अनुक्रियाओं को
गुच्छों या कारकों के रूप में अलग-अलग किया जाता है। इसका उपयोग मूल व्यक्तित्व
विशेषकों का पता लगाने के लिए अभिकल्पित परीक्षणों के विकास में किया जाता है।
तरल बुद्धि (Fluid
intelligence) : जटिल संबंधों का बत्यक्षण करने, अमूर्त रूप से तर्क करने तथा
समस्याओं का समाधान करने की योग्यता।
मुक्त साहचर्य (Free
association) : एक मनोगतिक तकनीक जिसमें रोगी मन में आए हुए किसी विचार, भावना या प्रतिमा का शाब्दिक
वर्णन करता है, भले ही
वह महत्वहीन क्यों न प्रतीत हो।
मूल गुणारोपण त्रुटि (Fundamental
attribution error) : व्यवहार के लिए बां कारणों की अपेक्षा आंतरिक कारणों का अधिक
गुणारोपण करने की प्रवृत्ति।
सामान्य अनुकूलन संलक्षण (General adaptation syndrome, GAS) : इसमें तीन अवस्थाएँ होती हैं -
सचेत अवस्था जो अनुकंपी तंत्रिका तंत्र की क्रियाओं को अग्रसर करती है, प्रतिरोध अवस्था जिसमें जीव
संकट का सामना करने का बयत्न करता है तथा परिश्रांति अवस्था जो तब घटित होती है जब
जीव संकट पर विजय पाने में असफल रहता है तथा शरीरक्रियात्मक संसामानों को निःशेष
कर देता है।
आनुवंशिकी (Genetics) :
जीवविज्ञान
की वह शाखा जिसके अंतर्गत बाणियों में जीनों की गुणता स्थानांतरण का अमययन किया जाता
है।
गेस्टाल्ट चिकित्सा (Gestalt
therapy) : चिकित्सा
का एक ऐसा उपागम जो सेवार्थी के विचारों, भावनाओं और व्यवहार को एक
एकीकृत संपूर्ण में समाकलित करने का प्रयास करता है।
सा-कारक (g-factor):
बुद्धि
की सभी अभिव्यक्तियों में निहित मूल बौण्कि क्षमता का संकेत देने वाला सामान्य
बुद्धि कारक।
समूह (Group) :
दो या
अधिक व्यक्ति जो एक-दूसरे से अंतक्रिया करते हैं, साझा लक्ष्य रखते हैं, एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं
तथा अपने को एक ही समूह का सदस्य समझते हैं।
समूह परीक्षण (Group
test) : वैयक्तिक
परीक्षण के विपरीत एक ही समय पर एक से अधिक व्यक्तियों को देने के लिए अभिकल्पित
परीक्षण।
समूहचिंतन (Groupthink) :
 ̄चतन करने का एक ढंग जिसमें सर्वसम्मत सहमति पर पहुँचने की
इच्छा उचित तार्किक और निर्णयकारी प्रक्रियाओं पर हावी हो जाती हैसमूह मा्रुवीकरण
का एक उदाहरण।
विभ्रांति (Hallucination) :
एक
मिथ्या बत्यक्षण जिसमें संगत और उपयुक्त वस्तु के दर्शनीय उपीपक के रूप में न रहने
पर भी वस्तु की वास्तविकता का बामयकारी बोमा होता है। यह एक अपसामान्य गोचर है।
परिवेश प्रभाव (Halo
effect) : सकारात्मक
गुणों को अन्य सकारात्मक गुणों के साथ, जिनके बारे में कोई जानकारी
उपलब्मा नहीं है, संबण्
करने की प्रवृत्ति।
दृढ़ता (Hardiness) :
यह अपने
बारे में, जगत के
बारे में और इनकी अंतःक्रियाओं के संबन्ध में विश्वासों का एक समुच्चय/ सेट है।
इसकी तीन विशेषताएँ होती हैं μ बतिबण्ता, नियंत्रण तथा चुनौती।
समस्थिति (Homeostasis) :
शरीर के
भीतर शरीरक्रियात्मक संतुलन की दशा।
मानवतावादी उपागम (Humanistic
approach) : वह सिणंत
जिसमें लोग मूलतः अच्छे होते हैं और कार्यशीलता के उच्चतर स्तर की ओर विकसित होने
के लिए बवृन होते हैं।
मानवतावादी चिकित्सा (Humanistic
therapy) : ऐसी
चिकित्सा पद्धति जिसमें निहित अभिग्रह यह है कि लोगों का अपने व्यवहार पर नियंत्रण
होता है, वे स्वयं
अपने जीवन के संबंध में चयन कर सकते हैं और अनिवार्य रूप से अपनी समस्याओं के
समाधान के लिए उत्तरदायी होते हैं।
स्वकायदुश्चिंता रोग (Hypochondriasis) :
एक
मनोवैज्ञानिक विकार जिसमें व्यक्ति चिकित्सकों के बार-बार किसी बीमारी के न होने
का आश्वासन दिए जाने के उपरांत भी शशरीरिक प्रक्रियाओं के विषय में सोचता रहता है
और काल्पनिक बीमारियों के भय से ग्रस्त रहता है।
इदम् या इड (Id) :
फ्रायड
के अनुसार, मानस का
वह आवेगी एवं अचेतन अंश जो मूलप्रवृनिक अंतर्नोदों के परितोषण की ओर
सुखेप्सा-सिणंत के माध्यम से क्रियाशील होता है। इड ही वास्तविक अचेतन या मानस का
गहनतम अंश समझा जाता है।
आदर्श अहम् (Ideal
self) : जिस
प्रकार का व्यक्ति हम बनना चाहेंगे। इसे अहमादर्श या आदर्शीकृत आत्म ̄बब भी
कहा जाता है।
तदात्मीकरण या तादात्म्य (Identification) : सामान्यतः किसी दूसरे व्यक्ति को अधिक पसंद करने या अत्यधिक
सम्मान देने के फलस्वरूप अपने को उस व्यक्ति की तरह समझने/ महसूस करने की
प्रक्रिया।
अनन्यता (Identity) :
किस
व्यक्ति के विशिष्ट लक्षण-हममें से हरेक कौन है, हमारी क्या भूमिकाएँ हैं और हम
क्या-क्या कर सकते हैं।
विसंगत अभिवृत्ति परिवर्तन (Incongruent attitude change) : विद्यमान/वर्तमान अभिवृनि से
विपरीत दिशा में अभिवृत्ति परिवर्तन।
व्यक्तिगत भिन्नताएँ (Individual
differences) : लोगों की विशेषताओं और व्यवहार के स्वरूपों की स्पष्ट विविमाताएँ
और भिन्नताएँ।
वैयक्तिक परीक्षण (Individual
test) : ऐसा
परीक्षण जो विशेष रूप से बशिक्षित व्यक्ति द्वारा एक समय में किसी एक अकेले
व्यक्ति को ही दिया जा सकता है। बिने और वेश्लर बुद्धि परीक्षण वैयक्तिक परीक्षणों
के उदाहरण हैं।
औद्योगिक/संगठनात्मक मनोविज्ञान (Industrial/Organisational Psychology) : मनोविज्ञान की एक उप-शाखा जो
व्यक्ति और उसके कार्य के बीच संबंधों पर विशेष रूप से बकाश डालती है। समकालीन
संदर्भ में महन्व औद्योगिक मनोविज्ञान से संगठनात्मक मनोविज्ञान की ओर खिसक गया है
जिसमें औद्योगिक और अन्य सभी संगठन सम्मिलित हैं।
हीनता मनोग्रंथि (Inferiority
complex) : एडलर के
अनुसार, प्रौढ़
व्यक्तियों में विकसित हीनता की वह भावना जिसका कारण यह होता है कि वे अपने बचपन
की अवधि में उत्पन्न हीनता की भावना पर नियंत्रण नहीं पा सके हैं जब वे छोटे थे और
दुनिया के बारे में उनका ज्ञान सीमित था।
अंतःसमूह (Ingroup) :
ऐसा
सामाजिक समूह जिसे कोई व्यक्ति अपना समूह समझता है और उससे जुड़ा रहता है (हम)। वह
समूह जिससे कोई व्यक्ति तादात्म्य स्थापित करता है और अन्य समूह उसके लिए बां समूह
हैं।
नैमित्तिक परिप्रेक्ष्य (Instrumental perspective) : ऐसा उपागम जो सुझाव देता है कि
भौतिक पर्यावरण का अस्तित्व मुख्यतः मनुष्यों के सुख और कल्याण के हेतु उपयोग के
लिए है।
बौद्धिक प्रतिभाशीलता (Intellectual giftedness) : विविमा बकार के कृत्यों में
श्रेष्ठ निष्पादन के रूप में बदर्शित असाधारण सामान्य बौण्कि क्षमता।
बुद्धि (Intelligence) :
चुनौतियों
का सामना करते समय संसामानों का प्रभावपूर्ण ढंग से उपयोग करने, सविवेक चिंतन करने और जगत को
समझने की क्षमता।
बुद्धि लब्धि (Intelligence
quotient, IQ): कालानुक्रमिक
आयु से मानसिक आयु का अनुपात इंगित करने वाला मानकीकृत बुद्धि परीक्षणों से
प्राप्त एक सूचकांक।
बुद्धि परीक्षण (Intelligence
tests) : किसी
व्यक्ति की बुद्धि का स्तर मापने के लिए अभिकल्पित परीक्षण।
अभिरुचि (Interest) :
एक या
अधिक विशिष्ट क्रियाकलापों के लिए व्यक्ति की वरीयता।
साक्षात्कार (Interview) :
किसी
उत्तरदाता के बारे में सूचना एकत्र करने के लिए उस उत्तरदाता और शोमाकर्ता के बीच
शाब्दिक अंतःक्रिया।
अंतर्मुखता (Introversion) :
व्यक्तित्व
की एक विमा जिसमें अभिरुचियाँ बाहर (बहिर्मुखी) के बजाय अंदर की ओर उन्मुख होती
हैं।
सत्य का आधार तत्व (Kernel
of truth) : समूहों
के बारे में विश्वासों के अतिसामान्यीकृत समुच्चय (रूढ़धारणाओं) में बत्यक्षित
किया जा सकने वाला सत्य का सूक्ष्म तत्व।
कामप्रसुप्ति काल (Latency
period) : फ्रायड
की मनोलैंगिक अवस्थाओं के सिणंत में लैंगिक अवस्था और परिपक्व जननांगीय अवस्था के
बीच की अवधि (4-5 की आयु से लेकर 12 की आयु तक) जिसमें ‘काम’ के प्रति कम अभिरुचि रहती है।
कामशक्ति या लिबिडो (Libido) :
फ्रायड
ने इस पद को बस्तावित किया। फ्रायड की विचारधारा में लिबिडो कामुकता की बत्यक्ष या
अबत्यक्ष अभिव्यक्ति मात्र थी।
जीवन कौशल (Life
skills) : अनुकूली
और सकारात्मक व्यवहार की योग्यताएँ जो व्यक्ति को पर्यावरण के साथ बभावी सामंजस्य
स्थापित करने में समर्थ बनाती हैं।
जीवन शैली (Lifestyle) :
स्वास्थ्य
मनोविज्ञान के संदर्भ में व्यक्ति के स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता का निर्धारण
करने वाले निर्णयों एवं व्यवहारों का समग्र प्रतिरूप।
ध्यान (Meditation) :
अपनी
एकाग्रता को अंतर्मुखी करने और चेतना की परिवर्तित अवस्था को प्राप्त करने की
तकनीक।
मानसिक आयु (Mental
age, MA): आयु के
रूप में अभिव्यक्त बौण्कि कार्यशीलता का मापक।
मानसिक मंदन (Mental
retardation) : बुद्धि की औसत से भी कम कार्यशीलता तथा उसके साथ की अनुकूली
व्यवहार में अनेक कोटि की न्यूनताओं की विद्यमानता।
अध्यावश्यकताएँ (Metaneeds) :
आवश्यकताओं
के पदानुव्म में शीर्षस्थ आवश्यकताएँ, जैसे - आत्मसिणि्, आत्म-सम्मान, सौंदर्यपरक आदि जिनकी संतुष्टि
निम्नतर व्म की आवश्यकताओं की संतुष्टि के बाद ही की जा सकती है।
मॉडलिंग या प्रतिरूपण (Modelling) : अधिगम की एक प्रक्रिया जिसमें व्यक्ति दूसरों को देखकर और
उनका अनुकरण करके अनुक्रियाएँ अर्जित करता है।
भावदशा विकार (Mood
disorder) : किसी
व्यक्ति की सांवेगिक अवस्था को बभावित करने वाले विकार, जिसमें अवसाद और द्विध्रुवीय
विकार भी शामिल हैं।
तांत्रिका-संचारक या न्यूरोट्रांसमीटर (Neurotransmitter) : वे रसायन जो अभिग्राही तंत्रिका-कोशिका के पाश्र्वतंतु को
तंत्रिका-कोष संधि की दिशा में संदेश देते हैं।
शोर (Noise) :
एक
अवांछित मवनि जो नकारात्मक भावात्मक अनुक्रिया उत्पन्न करती है।
प्रसामान्य संभाव्यता वक्र (Normal probability curve) : सममितीय, घंटाकार आवृनि वितरण। अधिकांश
प्राप्तांक ममय में पाए जाते हैं और दोनों छोर की ओर समानुपातिक ढंग से कम होते
जाते हैं। बहुत सी मनोवैज्ञानिक विशेषताएँ इसी रूप में वितरित हैं।
मानक (Norms) :
परीक्षण
निष्पादन के मानक जो अन्य परीक्षार्थियों (उसी परीक्षण के) के प्राप्तांकों के साथ
किसी एक परीक्षार्थी के प्राप्तांकों की तुलना का आधार बदान करते हैं।
आज्ञापालन (Obedience) :
दूसरों
के आदेशों की प्रतिक्रिया में व्यवहार की पुष्टि करना।
प्रेक्षण-प्रणाली (Observational
method) : बिना
किसी कारक को बहस्तित किए स्वाभाविक/सहज ढंग से घटित होने वाले गोचर का किसी
शोमाकर्ता द्वारा बेक्षण करने की विधि।
मनोग्रसित-बाध्यता विकार (Obsessive-compulsive disorder) : ऐसा विकार जिसमें बामयताओं या
मनोग्रस्तियों के लक्षण पाए जाते हैं।
इडिपस मनोग्रंथि (Oedipus
complex) : फ्रायड
द्वारा बदन संबत्यय जिसमें किशोर अपने लिंग के माता-पिता का स्थान लेने की तथा
विपरीत लिंग के माता-पिता का वही स्नेह पाने की उत्कट इच्छा विकसित कर लेता है।
आशावाद (Optimism) :
सुखद
अनुभवों को प्राप्त करने, याद रखने
तथा उनके प्रत्याशा करने की प्रवृत्ति। बाह्य समूह (Outgroup) : व्यक्ति जिस समूह का सदस्य नहीं
है, वह समूह।
शांत्ति (Peace) :
यह अपने
संगी-साथी मनुष्यों और पर्यावरण के प्रति शत्रुता का अभाव तथा समरसता की
अभिव्यक्ति है।
निष्पादन परीक्षण (Performance
test) : ऐसा
परीक्षण जिसमें भाषा की भूमिका न्यूनतम होती है क्योंकि उस कृत्य में वाचिक
अनुक्रियाओं की अपेक्षा बकट गत्यात्मक या पेशीय अनुक्रियाओं की आवश्यकता पड़ती है।
व्यक्तिगत अनन्यता (Personal
identity) : किसी
व्यक्ति की सबसे अलग, सबसे
भिन्न बाणी के रूप में पहचान।
व्यक्तिगत स्थान (Personal
space) : किसी
व्यक्ति के आसपास का वह छोटा-सा स्थान जिसे वह निजी या व्यक्तिगत समझता है और
अतिक्रमण होने पर मामकी या अप्रसन्नता का अनुभव करता है।
अनुनयता (Persuasibility) :
वह स्तर
या मात्र जहाँ तक लोगों को उनकी अभिवृत्तियों में परिवर्तन करने के लिए सहमत किया
जा सकता है।
लैंगिक अवस्था (Phallic
stage) : फ्रायड
के मनोलैंगिक अवस्थाओं में तीसरी अवस्था (लगभग 5 वर्ष की आयु में) जब सुख का अनुभव
जननांगों में केंद्रित होता है और बालक व बालिका दोनों ‘इडिपस मनोग्रंथि’ का अनुभव करते हैं।
दुर्भीति (Phobia) :
जिससे
व्यक्ति को अत्यंत कम या बिल्कुल खतरा नहीं रहता, ऐसी किसी विशेष वस्तु या स्थिति
का प्रबल, सतत एवं
तर्कहीन भय।
भौतिक पर्यावरण (Physical
environment) : यह प्रकृति है जिसमें जलवायु, वायु, जल, तापमान, वनस्पतिजात और प्राणिजात सभी
समाहित हैं।
योजना या नियोजन (Planning) :
दास के
बुद्धि के पास (PASS) : मॉडल में, नियोजन में लक्ष्य निर्धारित करना, युक्ति का चयन तथा
लक्ष्योन्मुखता का अनुवीक्षण आदि निहित हैं।
सकारात्मक स्वास्थ्य (Positive
health) : इसमें एक
स्वस्थ शरीर, अच्छे
अंतर्वैयक्तिक संबंमा, जीवन में
सोपेश्यता की भावना और दबाव, अभिघात तथा परिवर्तन के प्रति सह्यता निहित होते हैं।
अभिघातज उत्तर दबाव विकार (Post-traumatic stress disorder) : भूकंप या बाढ़ जैसी विपदा के
पश्चात लोगों में उत्पन्न होने वाले लक्षणों के प्रतिरूप जिनमें दुश्चिंता
प्रतिक्रियाएँ, तनाव, दुःस्वप्न तथा अवसाद आदि
सम्मिलित होते हैं।
निर्धनता (Poverty) :
यह
आर्थिक वंचन है। इसका संबंध कम आय, भूख, निम्न जाति या वर्ग, निरक्षरता, निम्न स्तर के आवास, भीड़-भाड़, सार्वजनिक सुविधाओं की कमी, कुपोषण और अल्प-पोषण तथा
बीमारियों की प्रबल आशंका आदि से होता है।
निर्धनता उपशमन (Poverty
alleviation) : निर्मानता को कम करने के लिए किए गए उपाय या कार्यव्म।
पूर्वाग्रह (Prejudice) :
सामान्यतः
नकारात्मक अभिवृत्ति वाला ऐसा पूर्वनिर्णय जो असत्यापित होता है और बायः किसी समूह
के विरुण् होता है।
प्रथम प्रभाव (Primacy
effect) : पहले
प्राप्त होने वाली सूचना की प्रबल भूमिका।
प्राथमिक समूह (Primary
group) : वह समूह
जिसके सदस्य व्यक्तिगत रूप से एक-दूसरे को जानते हैं और जिसमें सभी सदस्य कम-से-कम
किसी अवसर पर आपस में मिलते रहते हैं।
समस्या समाधान व्यवहार (Problem solving behaviour) : किसी बाणी और उसके लक्ष्य की
प्राप्ति के बीच आने वाली भौतिक या संबत्ययात्मक बाधाओं को दूर करने में निहित
क्रियाकलाप और मानसिक प्रक्रियाएँ।
पर्यावरण-उन्मुख व्यवहार (Pro-environmental behaviour) : पर्यावरण की रक्षा के बति
मनुष्यों की तत्परता और उनके क्रियाकलाप ही पर्यावरण-उन्मुख व्यवहार है।
प्रक्षेपण (Projection) :
एक रक्षा
युक्ति, स्वयं
अपने विशेषकों, अभिवृत्तियों
या आत्मनिष्ठ प्रक्रियाओं का अनजाने ही दूसरे पर गुणारोपण करने की प्रक्रिया।
प्रक्षेपी तकनीकें (Projective
techniques) : किसी व्यक्ति का अपने संसार के प्रति क्या दृष्टिकोण है या वह
उसमें रहकर किस प्रकार व्यवहार करता है, इस संबंध में उसकी लक्षण-विधाओं
के विषय में जानकारी प्राप्त करने के लिए अस्पष्ट, अनेकार्थी, असंरचित उपीपक विषयों अथवा
स्थितियों का उपयोग।
समाजोन्मुख या समाजोपकारी व्यवहार (Pro-social behaviour) : बिना किसी बाहरी दबाव के और
बिना किसी पुरस्कार या प्रतिफल की प्रत्याशा के दूसरे की भलाई के लिए किया गया
व्यवहार।
आद्यरूप (Prototype) :
किसी
श्रेणी के रूप में एक अन्विति योजना जो किसी वस्तु या व्यक्ति की सभी संभावित
गुणवत्ताओं का प्रतिनिधित्व करती हो।
सान्निध्य (Proximity) :
गेस्टाल्ट
मनोविज्ञान का एक सिद्धांत कि अत्यंत निकट रहने वाले उपीपक एक समूह के रूप में
बत्यक्षित होते हैं।
मनोगतिक उपागम (Psychodynamic
approach) : एक उपागम
जो अभिबेरकों या अंतर्नोदों के अनुसार व्यवहार की व्याख्या करने का प्रयास करता
है।
मनोगतिक चिकित्सा (Psychodynamic
therapy) : सर्वबथम
फ्रायड द्वारा प्रतिपादित। यह चिकित्सा इस आधारिका पर आश्रित है कि अपसामान्य
व्यवहार के मूल पेत अनसुलझे विगत अंतद्वद्वद्व होते हैं और इसकी संभावना रहती है
कि अस्वीकार्य अचेतन आवेग चेतना में बवेश करेंगे।
मनोवैज्ञानिक परीक्षण (Psychological test) : किसी व्यक्ति के मानसिक और
व्यवहारपरक विशेषकों का मापन करने के लिए एक वस्तुनिष्ठ और मानकीकृत उपकरण। इसका
उपयोग मनोवैज्ञानिकों द्वारा लोगों को अपने जीवन से संबंधित निर्णय लेने तथा अपने
बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त करने में सहायता करने के लिए किया जाता है।
मनस्तंत्रिका प्रतिरक्षा विज्ञान (Psychoneuroimmunology) : अनुकूलन की व्यवहारात्मक, तंत्रिका-अंतः पवी तथा बतिरक्षी
प्रक्रियाओं के ममय अंतःक्रियाएँ।
मनश्चिकित्सा (Psychotherapy) :
मानसिक/मनोवैज्ञानिक
विकार या कुसमायोजन के उपचार में किसी मनोवैज्ञानिक तकनीक का उपयोग।
संवेग तर्क चिकित्सा (Rational
emotive therapy, RET) : अल्बर्ट एलिस द्वारा विकसित एक चिकित्सा पद्धति। यह तर्कहीन, समस्या-उत्पादक दृष्टिकोणों के
स्थान पर अधिक यथार्थवादी दृष्टिकोणों को प्रतिस्थापित करने का प्रयास करती है।
युक्तिकरण (Rationalisation) :
एक रक्षा
युक्ति जो तब घटित होती है जब व्यक्ति अपनी असफलताओं या कमियों की व्याख्या अधिक
स्वीकार्य कारणों पर गुणारोपित करके करता है।
प्रतिक्रिया-निर्माण (Reaction
formation) : एक रक्षा युक्ति जिसमें व्यक्ति किसी अननुमोदित अभिप्रेरक के प्रतिकूल
अभिप्रेरक को सशक्त अभिव्यक्ति देकर उस अभिप्रेरक को नकारता है।
आसन्नता प्रभाव (Recency
effect) : सबसे अंत
में प्राप्त होने वाली सूचना की प्रबल भूमिका।
प्रतिगमन (Regression) :
एक रक्षा
युक्ति जिसमें व्यक्ति अपने जीवन की किसी पूर्व अवस्था के व्यवहार को अपना लेता
है। यह पद सांख्यिकी में भी बयुक्त होता है, जहाँ सहसंबंधों की सहायता से
पूर्वकथन किया जाता है।
पुनःस्थापन या पुनर्वास (Rehabilitation) : किसी बीमारी या आपराधिक घटना के उपरांत व्यक्ति को सामान्य
या यथासंभव संतोषजनक स्थिति में स्थापित करना।
विश्रांति प्रशिक्षण (Relaxation
training) : एक
प्रक्रिया जिसमें सेवार्थी को अपने शरीर के सारे तनाव को निर्मुक्त करने का
बशिक्षण दिया जाता है।
दमन (Repression) :
एक ऐसी
रक्षा युक्ति जिसमें व्यक्ति सभी अस्वीकार्य, दुश्चिंताकारी विचारों और
आवेगों का बत्यक्ष सामना करने से बचने के लिए अचेतन में ढकेल देता है।
स्थिति स्थापन (Resilience) :
चुनौतीपूर्ण
जीवन दशाओं में भी सकारात्मक समायोजन बनाए रखना।
प्रतिरोध (Resistance) :
मनोविश्लेषण
में रोगी द्वारा उपचार को अवरुण् करने के लिए किया गया प्रयास।
भूमिकाएँ (Roles) :
सामाजिक
मनोविज्ञान में एक महत्वपूर्ण संबत्यय जो किसी व्यक्ति द्वारा समाज में अपनी
स्थिति या हैसियत के अनुरूप लिए जाने वाले अपेक्षित व्यवहार को इंगित करता है।
बलि का बकरा बनाना (Scapegoating) :
किसी गलत
या अनुचित कार्य के लिए किसी समूह पर दोषारोपण करना क्योंकि वह समूह आरोप से अपना
बचाव नहीं कर सकता।
अन्विति योजना (Schema) :
एक
मानसिक संरचना जो सामाजिक (तथा अन्य) संज्ञान को निर्देशित करती है।
मनोविदलता (Schizophrenia) :
मनस्तापी
प्रतिक्रियाओं का समूह जिसमें समाकलित व्यक्तित्व कार्यशीलता विघटित हो जाती है, वास्तविकता से विनिवर्तन, सांवेगिक अवरोमा तथा विरूपण, एवं विचार व व्यवहार विक्षुब्मा
हो जाता है।
आत्मसिद्धि (Self-actualisation):
आत्म-संपूर्णता
की दशा जिसमें व्यक्ति अपने उच्चतम संभावित लक्ष्य को अपने-अपने विशिष्ट तरीके से
प्राप्त कर लेते हैं।
आत्म-जागरूकता (Self-awareness):
अपने
अभिबेरकों, विभवताओं
और परिसीमाओं के प्रति अंतर्दृष्टि।
आत्म-सक्षमता (Self-efficacy):
अपनी
निजी बभाविता के बारे में व्यक्ति के विश्वास के लिए बंदूरा द्वारा बयुक्त शब्द; यह प्रत्याशा कि कोई व्यक्ति
किसी स्थिति पर पूर्ण आधिपत्य कर सकता है तथा सकारात्मक परिणाम प्राप्त कर सकता
है।
आत्म-सम्मान (Self-esteem):
किसी
व्यक्ति का अपनी निजी योग्यता के बारे में व्यक्तिगत निर्णय; एक सकारात्मक-नकारात्मक विमा पर
अपने प्रति स्वयं की अभिवृत्ति।
स्वतः साधक भविष्योक्ति (Self-fulfilling prophecy): इस ढंग से व्यवहार करना जो
दूसरों द्वारा किए गए भविष्यकथन की पुष्टि करता हो।
आत्म-नियमन (Self-regulation):
यह स्वयं
अपने व्यवहार का सुयोजन और अनुवीक्षण करने की हमारी योग्यता का उल्लेख करता है।
संवेदनशीलता (Sensitivity) :
अत्यंत
निम्न स्तर के भौतिक उपीपन पर अनुक्रिया करने की प्रवृत्ति।
अभिवृत्ति की सरलता या जटिलता (बहुविधता) (Simplicity or complexity (multiplexity) of attitude) : या तो संपूर्ण अभिवृत्ति में
कोई अकेली या बहुत कम उप-अभिवृत्तियाँ निहित होती हैं (सरल) या इसमें अनेक
उप-अभिवृत्तियाँ निहित होती हैं (बहुविमा)।
सहकालिक प्रक्रमण (Simultaneous
processing) : ‘पास’ (PASS) मॉडल में संज्ञानात्मक बव्मण जिसमें उपीपक स्थिति के तत्वों
का सम्मिश्र एवं सार्थक बतिरूपों में समाकलन निहित होता है।
स्थितिवाद (Situationism) :
वह सिणंत
जिसके अनुसार व्यक्ति के बाहर की स्थितियों और परिस्थतियों में उसके व्यवहार को
बभावित करने की शक्ति होती है।
सामाजिक संज्ञान (Social
cognition) : वे प्रक्रियाएँ जिनके माध्यम से हम सामाजिक सूचनाओं से अवगत होते
हैं, उसकी
व्याख्या करते हैं, उसे याद
रखते हैं और बाद में उसका उपयोग करते हैं। यह अन्य लोगों तथा स्वयं को ठीक से
समझने में सहायता करती है।
सामाजिक सुकरीकरण (Social
facilitation) : अन्य लोगों या श्रोतागण की उपस्थिति में अपने निष्पादन में सुधार
करने की लोगों की प्रवृत्ति।
सामाजिक अनन्यता या अस्मिता (Social identity) : एक व्यक्ति की अपने बारे में यह परिभाषा कि वह कौन है। इसमें
विभिन्न समूहों की सदस्यता के साथ-साथ व्यक्तिगत गुण (आत्म-संबत्यय) भी सम्मिलित
होते हैं।
सामाजिक प्रभाव (Social
influence) : वह प्रक्रिया जिसके द्वारा किसी व्यक्ति या समूह के कार्य दूसरों
के व्यवहार को बभावित करते हैं।
सामाजिक प्रावरोध (Social
inhibition) : किसी आचरण पर सामाजिक संयम या नियंत्रण।
सामाजिक स्वैराचार (Social
loafing) : किसी
समूह में बत्येक अतिरिक्त व्यक्ति यह सोचकर कि दूसरे व्यक्ति कार्य में अपना आयास
लगा ही रहे होंगे, स्वयं
अपना आयास कम कर देता है।
सामाजिक अवलंब (Social
support) : किसी
व्यक्ति को दूसरे लोगों से यह ज्ञात होना कि लोग उससे प्रेम करते हैं, उसकी परवाह करते हैं और उसका
सम्मान करते हैं। यह जानकारी संचार के जालव्म और पारस्परिक आभार का अंश होती है।
कायरूप विकार (Somatoform
disorders) : किसी पहचानने योग्य आंगिक कारण के न रहते हुए भी शरीर में किसी
बीमारी या अशक्तता के हो जाने की स्थिति।
आध्यात्मिक परिप्रेक्ष्य (Spiritual perspective) : ऐसा परिबेक्ष्य जो मार्मग्रंथों
के अनुरूप किए जाने वाले कार्यों का विशेष रूप से उल्लेख करता है। यह मनुष्य एवं
प्रकृति के बीच सामंजस्य की हिमायत करता है।
प्रतिष्ठा या हैसियत (Status) :
किसी
समूह में सामाजिक श्रेणीव्म।
रूढ़धारणा (Stereotype) :
किसी
विशिष्ट समूह के बारे में अतिसामान्यीकृत और असत्यापित आदि बरूप।
दबाव (Stress) :
ऐसी
घटनाओं के प्रति हमारी अनुक्रिया जो हमारी शशरीरिक एवं मनोवैज्ञानिक कार्यशीलता को
विघटित कर देती है या विघटित करने की मामकी देती है।
दबावकारक (Stressors) :
हमारे
पर्यावरण में वे घटनाएँ या स्थितियाँ जो दबाव उत्पन्न करती हैं।
संरचना (Structure) :
किसी
जटिल तंत्र या गोचर का चिरस्थायी स्वरूप एवं संघटन। इसकी विपरीतार्थी संकल्पना ‘प्रकार्य’ है जो इसी संरचना से निःसृत
अपेक्षाछत कम अवधि की प्रक्रिया है।
मादक द्रव्यों का दुरुपयोग (Substance abuse) : भावदशा या व्यवहार में परिवर्तन करने हेतु किसी मादक द्रव्य
या रसायन का उपयोग जिसका प्रतिफल हानिकारक होता है।
आनुक्रमिक प्रक्रमण (Successive
processing) : ‘पास’ मॉडल में
संज्ञानात्मक बव्मण जिसमें उपीपक स्थिति के घटकों पर क्रमिक ढंग से अनुक्रिया की
जाती है।
पराहम् (Superego) :
फ्रायड
के अनुसार मनुष्य में विकसित होने वाली अंतिम व्यक्तित्व-संरचना। यह समाज में सही
और गलत के मानकों का प्रतिनिधित्व करता है जो उसे माता-पिता, शिक्षकों तथा अन्य महत्वपूर्ण
व्यक्तियों से प्राप्त होते हैं।
पृष्ठ विशेषक या शीलगुण (Surface traits) : आर.बीकैटल द्वारा व£णत प्रेक्षण-योग्य विशेषक-घटकों
के वे पुंज (अनुक्रियाएँ) जिनकी अवस्थिति साथ-साथ देखी जाती है। सहसंबंधों के कारक
विश्लेषण से पेत विशेषक प्राप्त होते हैं।
संलक्षण (Syndrome) :
किसी विकार
के साथ-साथ प्रकट होने वाले लक्षणों का समूह या प्रतिरूप जो उस विकार के विशिष्ट
चित्र का प्रतिनिधित्व करता है।
क्रमिक विसंवेदनीकरण (Systematic
desensitisation) : व्यवहार चिकित्सा का एक रूप जिसमें दुर्भीतिग्रस्त सेवार्थी
पहले विश्रांत अवस्था की ओर प्रेरित होना सीखता है और तब उसके समक्ष भय या
दुर्भीति उत्पन्न करने वाला उपीपक बस्तुत किया जाता है।
चिकित्सात्मक मैत्री या सौहार्द (Therapeutic alliance) : चिकित्सक और सेवार्थी के ममय
स्थापित होने वाला विशिष्ट संबंमा; संबन्ध का संविदागत या अनुबंधीय
स्वरूप तथा चिकित्सा की सीमित अवधि इसके दो प्रमुख घटक होते हैं।
टोकन अर्थव्यवस्था (Token
economy) : क्रियाप्रसूत
अनुबंमान पर आधारित व्यवहार चिकित्सा का एक बकार जिसमें अस्पताल में भर्ती रोगी
ऐसे टोकन उपार्जित करते हैं, जब वे वहाँ के कर्मचारियों के मनोनुकूल वांछित व्यवहार करते
हैं। इन टोकनों का विनिमय मूल्यवान पुरस्कारों या वस्तुओं से किया जा सकता है।
विशेषक या शीलगुण (Trait) :
अनेक
प्रकार की परिस्थितियों में व्यक्त होने वाला अपेक्षाकृत सतत एवं संगत व्यवहार का
स्वरूप।
विशेषक या शीलगुण उपागम (Trait approach) : व्यक्तित्व का ऐसा उपागम जो व्यक्तित्व का वर्णन करने के लिए
उसके आधारभूत विशेषकों की पहचान व खोज करता है।
संव्यवहार उपागम (Transactional
approach) : इसमें
व्यक्ति और उसके पर्यावरण के ममय की अंतःक्रियाएँ सम्मिलित हैं। मनुष्य पर्यावरण
पर प्रभाव डालते हैं और बदले में पर्यावरण द्वारा बभावित भी होते हैं।
अन्यारोपण (Transference) :
मनोविश्लेषण
करने वाले व्यक्ति की चिकित्सक के प्रति प्रबल सकारात्मक या नकारात्मक भावनाएँ।
प्ररूपविज्ञान (Typology) :
व्यक्तियों
का अलग-अलग कोटियों या प्ररूपों में तर्कसंगत संवर्गीकरण, जैसे-टाइप ‘ए’ व्यक्तित्व।
अशर्त सकारात्मक आदर (Unconditional
positive regard) : किसी बेक्षक की ओर से, बिना इस बात पर मयान दिए कि
दूसरा व्यक्ति क्या कहता या करता है, उस व्यक्ति को स्वीकार करने और
सम्मान करने की अभिवृत्ति।
अचेतन (Unconscious) :
मनोविश्लेषण
सिणंत में कोई भी ऐसी क्रिया या मानसिक संरचना जिसकी जानकारी व्यक्ति को नहीं
होती।
अभिवृत्ति की कर्षणशक्ति (Valence of attitude) : किसी अभिवृत्ति के सकारात्मक या
नकारात्मक होने की स्थिति।
मूल्य (Values) :
व्यवहार
के आदर्श तरीकों या अस्तित्व की अंत्य अवस्था के संबंध में अमिट विश्वास; वे अभिवृत्तियाँ जिनका मूल्यपरक
और ‘कर्तव्यता’ पक्ष प्रबल होता है।
शाब्दिक परीक्षण (Verbal
test) : ऐसा
परीक्षण जिसमें अपेक्षित अनुक्रियाएँ करने के लिए परीक्षार्थी की शब्दों एवं
संबत्ययों को समझने और उनका उपयोग करने की योग्यता महत्वपूर्ण होती है।
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